घुसपैठिया ....(Veeru Sonkar)

10:27 PM

हर अँधेरे का ,,,अपना ,,रहस्य है
हर गहराई की ,,,अपनी ,,,भव्यता
अतीत ,,,उँगलियों की पोर पर,, बैठा ,,स्पर्श है
टटोलना ,,,,स्मृतियों से,,, संवाद है
तस्वीरें ,,,मुझसे,, एकालाप करती हैं
मैं उनकी ,,,खो गयी,,, आत्माओं के प्रेम में हूँ
बहुत गहरे जा कर बैठना,
धरती से मेरी,,, सबसे क्रूर,,, असहमति है
मेरा एकल चिंतन ,,,उजाले के पक्ष में
सबसे ,,,ईमानदार मतदान है
मेरा चेहरा ,,दुखो का जीवित ,,,इतिहास है
और आँखे,, भविष्य की खुली ,,,बैलेन्स शीट
दूर खड़ा,
सबसे प्रिय,, एक भविष्य हँसता है
मैं उसके प्रेम में,,, थोड़ा और उदास हो जाता हूँ
मेरा हँस देना,,, दुःख की,, सबसे निर्मम हत्या है
और सहज होना,,, मेरी सबसे,, प्राचीन उपस्थिति
भविष्य,,, मेरे कंधे पर ,,,हाथ रखता है
मैं उसके भरोसे में,,, खो गया,, सबसे मासूम योद्धा हूँ
मैं अँधेरे में बैठी,,, सबसे चमकदार प्रार्थना हूँ
मेरा पहला ,,उठा हुआ पैर,,, उजाले का उदघोष हैं
मेरे,,, हाथ से बेहतर ,,दुनिया का कोई औजार नहीं
मेरी आवाज से,,, बड़ा ,,,कोई नारा नहीं
मेरे हक़ से ,,बड़ी,,, कोई जिद नहीं
मेरी आँखों की चमक ,,,दुनिया की हर आंख में ,,,बराबर बाट दो
मैं अंततः,,, तुम्हारे घर से ही,,, बरामद होऊंगा
मैं तुम्हारी जेब में पड़ी सबसे ,,,आखिरी पूंजी हूँ
मेरे हाथ चूम लो,,,, यही तुम्हारे हाथ हैं
मेरे पैर, ,,,तुम्हारे हिस्से की,,, यात्रा में हैं
मेरा चेहरा,,, ध्यान से देखो
इसके हर हिस्से से ,,तुम्हारी पहचान फूट रही है
मैं .....कोई और नहीं
तुम्हारे एकांत में ,,,,घुस आया
भविष्य का ,,,सबसे बड़ा ,,,,,घुसपैठिया हूँ......
Veeru Sonkar

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