वह सडक शांत हो चुकी है....(Asmita Pathak)
10:50 PM
वह सडक शांत हो चुकी है
तम और कोहरे में घुटकर
अब तुम अकेले
अपने घर तक का रास्ता कैसे नापोगी?
अब तुम अकेले
अपने घर तक का रास्ता कैसे नापोगी?
दरख्तों के पीछे छिपे जानवरों की आँखों की तरह
इनसानों की आँखें !
तुम्हें देखकर चमक सकती हैं
इनसानों की आँखें !
तुम्हें देखकर चमक सकती हैं
हवा के साथ उड़ते तुम्हारे लंबे बालों में
झलक रही तुम्हारी आज़ादी
तुम्हारी जैसी हर लडकी,
तुम्हारी जैसी हर औरत को ये आँखें चुभ सकती हैं
झलक रही तुम्हारी आज़ादी
तुम्हारी जैसी हर लडकी,
तुम्हारी जैसी हर औरत को ये आँखें चुभ सकती हैं
तुम रातों को,
इस तरह घूमोगी,
अकेले होकर,
अपने-आपको सबके आगे निडर साबित कर !
इस तरह घूमोगी,
अकेले होकर,
अपने-आपको सबके आगे निडर साबित कर !
तुम हज़ारों घटनाओं की शिकार बन सकती हो !
बतियाने का विषय बन सकती हो !
बतियाने का विषय बन सकती हो !
वो सडक शांत हो चुकी है
अब तुम अपने घर का रास्ता कैसे नापोगी ?
तुम निडर नहीं बनोगी,
तुम आज़ाद नही होगी,
अब तुम अपने घर का रास्ता कैसे नापोगी ?
तुम निडर नहीं बनोगी,
तुम आज़ाद नही होगी,
तुम खोटी रोशनी में खडे होकर,
भाई और पिता के आने का इंतज़ार करोगी....
.
.Asmita Pathak
भाई और पिता के आने का इंतज़ार करोगी....
.
.Asmita Pathak
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