तपना 10:40 PM तपना जरूरी है पकने ,,के लिए चाहे... इंसान हो या फिर... माटी… माटी कच्ची रहे तो बह जाती है इंसान कच्चा रहे तो ढह जाता है बिना तपे या फिर बिना पके कहाँ चलता है जिंदगी में अगर खरा होना है तो,,, दुखों का ताप ,,झेल कर अनुभवों की भट्ठी में तपना तो... पड़ेगा ही न ... . . Manju Mishra Share This Story Share on Facebook Share on Twitter Pin this Post Tags: hindi kavita Newer Post Older Post You Might Also Like 0 comments
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